रविवार, 31 दिसंबर 2017

सिर्फ कैलेंडर नही बदलेंगे इस बार

सिर्फ कैलेंडर नही बदलेंगे इस बार
बदलेंगे इंसान को हिन्दू मुसलमान बताने वाले विचार
बदलेंगे वो ख्याल जो छींनते हैं इंसान से इंसान का प्यार
बदलेंगे उन सीमाओं को गोलियां चलती हैं जिनके पार
बदलेंगे उस समाज को जो गरीब से छीने रोटी का अधिकार
आइये कसम खाएं सिर्फ कैलेंडर नहीं बदलेंगे इस बार

जब भी कोई भूखा होगा रोटी हम खिलाएंगे
ठंड से ठिठुरते का कम्बल बन जाएंगे
किसी गरीब के पेट पर नही करेंगे वार
आइये कसम खाएं सिर्फ कैलेंडर नही बदलेंगे इस बार

रिश्वत ले देकर किसी का हक़ नही मरेंगे
बहनो की लाज का दुपट्टा नही उतारेंगे
धर्म के नाम पर नही उठाएंगे हथियार
आइये कसम खाएं सिर्फ कैलेंडर नही बदलेंगे इस बार

सीखेगे कैसे रोते हुए को हसाना है
सफर बस साल का है, गुज़र जाना है
याद रखेंगी सदियां आ करें कुछ ऐसा यार
आइये कसम खाएं सिर्फ कैलेंडर नही बदलेंगे इस बार

गुरुवार, 25 मई 2017

हम क्या क्या चुराएँ हैं...


किसी का दिल चुराएं हैं,
किसी की जान चुराएँ हैं,
भला कैसे कहें तुझसे,
की हम क्या क्या चुराएँ हैं...

जो खुद ही झाँक कर के तुम,
मेरे दिल में अगर देखो,
तो इस नन्हे से दिल से हम
तेरी दुनियां चुराएँ है...

पलटकर जो नज़र भरकर,
हमे देखो तो समझोगे,
जो नफरत को अपरे करकर,
हमे देखो तो समझोगे;

जहां कल तक रहा करती थी,
बस तन्हाइयां अपनी,
वहाँ तेरी हर एक मुस्कान को,
अब हम चुराएँ हैं...

मुहब्बत से तुझे अपना,
ज़िगर देकर चले थे हम,
बदले में तेरी सारी,
फिकर लेकर चले थे हम,

की जिनको सोच करके,
रोज आंसू तु बहाती थी,
तु हसले खोलकरके दिल,
तेरे आंसू चुराएँ है...

तु है मेरी यही सोचा था,
जब कब सांस आई थी,
ये धड़कन थम गई मेरी,
की जब तु पास आई थी;

नज़र भर देख लूँ तुझको,
मगर के दिल ये डरता है,
नज़र लग जाये ना तुझको,
नज़र को हम चुराए हैं...

मंगलवार, 16 मई 2017

गया कोई


आज मुस्कान देकर रो गया कोई,

इश्क देकर दर्द-सरा हो गया कोई......

उसे ख्वाब बनाकर उम्र भर जीना चाहता था,

तकदीर बनकर ख़ाक में खो गया कोई......

पाने की ख्वाहिस थी पर बिखर जाने का डर था,

बिखरे मोती ज़िन्दगी में पिरो गया कोई.......

हर एक सांस हर धड़कन थम सी गई थी,

ज़िन्दगी से खफा होकर जो गया कोई.......

मुहब्बत के फ़साने मैंने कहे वो चुप रही,

दिल की दिल में रख कर चला गया कोई.......

चाहता तो था की सांसे बनाकर बसा लूँ खुद में,

पर न मिला अब की जो गया तो गया कोई.......

ज़िन्दगी की भीड़ में वो साथ है मै सोचता था,

छुड़ाकर हाथ मुझसे ही जमाने में खो गया कोई.......

इश्क उससे है और ता-उम्र रहेगा,

बस भुलाकर मुझको ही गैर का हो गया कोई......

शुक्रवार, 5 मई 2017

मै तुझको देखता हूँ


की दिन हो या हो कोई रात तुझको देखता हूँ,
कसम से उस खुदा के बाद तुझको देखता हूँ ..

की जब से रूठकर के तुम कहीं पर खो गए हो,
की मुझको भूल करके बेवफा तुम हो गए हो,
मै तब से सोचकर हालत तुझको देखता हूँ ..
कसम से...................

मै जब भी सोचता हु इश्क के गुज़रे फ़साने,
मुझे तब याद आते हैं तुम्हारे सब बहाने,
मै तब भी भूलकर हर बात तुझको देखता हूँ ..

कसम से...................

कभी तो याद आते हैं वो पलछिन साथ थे जब,
हया को भूलकर हाथों में अपने हाथ थे जब,
बसर तक करके वो पल याद तुझको देखता हूँ..

कसम से...................
तुझे होगा पता जब चाँद को मै देखता था,
तेरी तस्वीर हर आहद में मै देखता था,
जगागर फिर वही ज़ज्बात तुझको देखता हूँ ..

कसम से...................

गुरुवार, 6 अप्रैल 2017

क्यूँ ख्वाब अधूरे रहते हैं


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हम अक्सर सबसे कहते हैं,

क्यूँ ख्वाब अधूरे रहते हैं...



क्यूँ तब अधियारा होता है,

जब दीप जलाये जाते हैं;

क्यूँ तब तन्हाई होती है,

जब यार मिलाये जाते हैं..



हम अक्सर सबसे कहते हैं,



क्यूँ होली बेरंग रही,

क्यू शांत रही दीवाली;

क्यूँ जब जब भी मै रोया,

तब तब बजती थी ताली...



हम अक्सर सबसे कहते हैं,




क्यों सावन रुखा रुखा सा,

क्यों भादो सूखा सूखा सा,

क्यों अमवारी के बीच खड़ा,

मै फिर भी भूखा भूखा सा;



हम अक्सर सबसे कहते हैं,



क्यूँ ठहरी हुई बयार मिली,

क्यूँ उजड़ी हुई बहार मिली,

क्यूँ सालों के कर्कश जीवन में,

खुशियाँ कभी कभार मिली;



हम अक्सर सबसे कहते हैं,

क्यों ख्वाब अधूरे राहते हैं.....