गहराइयाँ
अलफ़ाज़ जो दिल को छू जाएँ
गुरुवार, 10 सितंबर 2020
टूटा दिल
दिल ज़ख्मी और आंखे पानी पानी है।
लाख मनाया दिल को मत कर मर जायेगा,
कर डाला ये, इश्क बड़ी नादानी है।।
इश्क़ की मंज़िल आंखों के पानी का दरिया,
दिल तक का रस्ता पर, रेगिस्तानी है।।
खाक मुहब्बत अपने हिस्से आएगी?
चाहत वाली बातें, बड़ी पुरानी है।।
अपना दिल अपनी नींदें अपने ख्वाब,
प्यार में मेरे यार, यही क़ुरबानी है।।
चलो निभाएं वफ़ा वफादारी से हम तुम,
आओ देखें, किसमे कितना पानी है।।
दवा बताकर नमक को पुड़िया तुमने दी थी,
हँसकर ले ली, ज़िगर बड़ा तूफानी है।।
रविवार, 31 दिसंबर 2017
सिर्फ कैलेंडर नही बदलेंगे इस बार
सिर्फ कैलेंडर नही बदलेंगे इस बार
बदलेंगे इंसान को हिन्दू मुसलमान बताने वाले विचार
बदलेंगे वो ख्याल जो छींनते हैं इंसान से इंसान का प्यार
बदलेंगे उन सीमाओं को गोलियां चलती हैं जिनके पार
बदलेंगे उस समाज को जो गरीब से छीने रोटी का अधिकार
आइये कसम खाएं सिर्फ कैलेंडर नहीं बदलेंगे इस बार
जब भी कोई भूखा होगा रोटी हम खिलाएंगे
ठंड से ठिठुरते का कम्बल बन जाएंगे
किसी गरीब के पेट पर नही करेंगे वार
आइये कसम खाएं सिर्फ कैलेंडर नही बदलेंगे इस बार
रिश्वत ले देकर किसी का हक़ नही मरेंगे
बहनो की लाज का दुपट्टा नही उतारेंगे
धर्म के नाम पर नही उठाएंगे हथियार
आइये कसम खाएं सिर्फ कैलेंडर नही बदलेंगे इस बार
सीखेगे कैसे रोते हुए को हसाना है
सफर बस साल का है, गुज़र जाना है
याद रखेंगी सदियां आ करें कुछ ऐसा यार
आइये कसम खाएं सिर्फ कैलेंडर नही बदलेंगे इस बार